41 अस्यान वाँकाणी एक केल्डा की मूरत बणान वीके आगे बली चड़ई अन वे आपणाँ हातऊँ किदा काम पे राजी वेबा लागा।
पछे वीं मनक जो वाँकी मारऊँ बचग्या हा, वणा आपणाँ मन ने ने बदल्यो, पण वीं तो हुगली आत्मा, होना, चाँदी, पीतळ, भाटा अन कांस्या की मूरताँ के, जीं ने बोल सके हे, ने देक सके हे, अन ने चाल सके अन ने हुणन सके, वाँके धोक लागणो ने छोड़्यो।