33 तद्याँईस परबू वींने क्यो, “आपणाँ पगाँ की पगरख्याँ उतार, काँके जीं जगाँ पे थूँ ऊबो हे, वाँ पुवितर जगाँ हे।
मूँ तो थाँने मन फेरबा का वाते पाणीऊँ बतिस्मो दूँ हूँ पण वीं ज्यो मारा केड़े आबावाळो हे, वो माराऊँ भी हेलो मोटो हे। मूँ तो वाँका पगरख्याँ का कसणा खोलबा के जोगो भी ने हूँ। वो थाँने पुवितर आत्मा अन वादीऊँ बतिस्मो देई।
माँ भी वींके हाते वीं पुवितर मंगरा पे हा वीं टेम हरगऊँ ओ हमच्यार आवतो तको हुण्यो हो।