देको, आपाँ धीरज राकबावाळा ने धन्न हमजा हा। थाँ अयुब का धीरज का बारा में तो हुण्योईस हे अन परबू वींने वींको ज्यो फळ दिदो हो, यो थाँ तो जाणोइस हो, काँके परबू तरस अन दया करबावाळा हे।
में वणीऊँ क्यो, “हे मालिक, थाँ तो जाणोई हो।” तो वणा माराऊँ क्यो, “ईं वीं मनक हे जी कळेस जेलन आया हे अन अणा आपणाँ गाबा ने उन्याँ का लुईऊँ धोन धोळा किदा हे।