28 “माँकाणी ईं नामऊँ ने हिकाबा को आदेस दिदो हो, तुई थाँ हारई यरूसलेम में हिका दिदो हे। कई थाँ ईं मनक की मोत को अपराद मारा पे नाकबो छावो हो।”
ज्यो ईं भाटा पे पेड़ी, वो वखर जई अन जिंपे वो पड़ी वो वींने पीस देई।”
हाराई लोगाँ जवाब दिदो, “ईंकी मोत की जवाबदारी माँ अन माकाँ छोरा-छोरी लेवा हा।”
अन थरप्या तका ने मयने बलान वाँके चामट्याँ लगाया अन हुकम दिदो के, ईसू का नाम में कई मत किज्यो, पछे वाँने छोड़ दिदा हा।
अस्यो एक भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो कई, जिंने थाँका बड़ाबा ने हतायो? वाँकाणी तो वाँने भी मार नाक्या, ज्याँकाणी नरई दनाँ पेल्याँईं वीं धरमी के आबा की घोसणा कर दिदी ही, जिंने अबे थाँकाणी छळ करन पकड़वा दिदो अन मार दिदो।