ईसू वाँने क्यो, “हा, हारी बात ने हव करबा वाते एलियो जरुर आई। पण मनक का पूत(ईसू) के वाते यूँ काँ लिक्यो हे के, वींने घणो दुक जेलणो पेड़ी अन मनक वींने नकार देई?
अस्यो एक भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो कई, जिंने थाँका बड़ाबा ने हतायो? वाँकाणी तो वाँने भी मार नाक्या, ज्याँकाणी नरई दनाँ पेल्याँईं वीं धरमी के आबा की घोसणा कर दिदी ही, जिंने अबे थाँकाणी छळ करन पकड़वा दिदो अन मार दिदो।