जद्याँ ईसू जेतुन का मंगरा पे बेट्या तका हा, तो चेला अकेला वाँका नके आन क्यो, “माने बता के, ईं बाताँ कदी वेई? थाँके आबा को अन जग का अन्त को कई हेन्याण वेई?”
काँके वणी एक दन ठेरायो हे, वीं आपणाँ थरप्या तकाऊँ वो धरती का हंगळा मनकाँ को हाँचऊँ न्याव केरी, अन वणी मरिया तका मूँ पाछो जीवतो वेन हंगळा मनकाँ में आ बात पाकी कर दिदी हे।
मसी ने वीं दाण तईं हरग में रेणो पेड़ी, जतरे वीं हारी बाताँ परमेसर पेल्याँ के जस्यान कोयने कर दे, जिंका बारा में नरई पेल्याँ परमेसर आपणाँ आड़ीऊँ बोलबावाळा पुवितर मनकाँ का मुण्डाऊँ बतायो हो।
वस्यान मसी भी एक दाणइस नरई का पापाँ ने छेटी करबा का वाते बलीदान व्यो हे। वो अबे पापाँ ने छेटी करबा का वाते ने, पण ज्यो वींकी वाट नाळरिया हे वाँका छूटकारा का वाते दूजी दाण परगट वेई।
देको, वो वादळा का हाते आबावाळो हे अन वींने हाराई आपणी आक्याँऊँ अन वीं मनक भी जणा वींने दुक दिदो हो देकी। अन धरती का हाराई मनक वाँके वजेऊँ रोई। अस्यान पाको हे के, यो वेई, आमीन।