जद्याँ यहुन्ने यो देक्यो के, नरई फरीसी अन सदुकी वाँका नके बतिस्मो लेबा ने आरिया हे तो वणी वाँकाऊँ क्यो, “ओ, हाँप का बच्या। थाँने कणी हेंचेत कर दिदा हे के, थाँ परमेसर की आबावाळी रीसऊँ बंच निकळो?
जद्याँ वटा का रेबावाळा मनक वींका हात पे हाँप पळेट्यो तको देक्यो तो एक-दूजाऊँ क्यो, “हाँची में ओ मनक हत्यारो हे, समन्द में तो ओ बंचग्यो पण न्याव ईंने जीवतो ने रेवा देई”
कई वींइस मसी का दास हे? मूँ बेण्डा के जस्यान कूँ हूँ, मूँ वणाऊँ भी बड़न मसी को दास हूँ। वाँकाऊँ हेली मेनत करबा में, नरी दाण जेळ में बन्द वेबा में, कोड़ा की मार खाबा में, आकोदाण मोत का मुण्डो में जाबा में,
माँने फोगट्या हमजे हे जद्याँ के माँ तो मान्याँ तका हाँ अन माँने मरिया तका जाणे हे, जद्याँ के माँ तो जीवता हाँ। माँने दण्ड पाबावाळा का जस्यान जाणे हे, तद्याँ भी माँ मोत ने ने हुप्याँ जावाँ हाँ