13 वटूँऊँ माँ गुमता तका रेगियुम नगर में आया, वटे एक दन तईं जाँज के हामे लंकव-आतमणी आड़ी वइरो चाल्यो पछे माँ दो दन में पुतियोली सेर में आया।
जद्याँ थोड़ो-थोड़ो लंकव का आड़ीऊँ वइरो बाजबा लागो, तो वाँकाणी होच्यो के जस्यान वणा मन में धारियो हो वस्यानीस वे जाई, ईं वाते लंगर काड़ दिदो अन क्रेता का कनारे-कनारे जाबा लागा।
सुरकुसा नगर का बन्दरगा पे जाँज रोकन तीन दन तईं वटे रिया।
वटे माँने कुई विस्वासी भई मल्या, वाँका केवाऊँ माँ हात दन तईं वटे रिया, अस्यान माँ रोम में आग्या।