पछे वीं बंचबावाळी नावा ने उठान जाँज में मेल दिदी अन जाँज ने टूटवाऊँ बंचबा वाते जाड़ा हींदराऊँ च्यारूँमेरऊँ बांद दिदो अन कटेई सुरतिस का हेवा पाणी में ने फसन टूट ने जावे, ईं दरपऊँ पाल उतारन जाँज ने वेवा दिदो।
पाली रात ने जो लंगर नाक्या हाँ वाँने काट दिदा अन जीं हींदराऊँ पतवार बान्दयो हो वींने खोल दिदो अन वइरा का हामे पाल ताण दिदो अन कनारे का आड़ी चालबा लागा।
ईं वाते हो विस्वासी भायाँ विस्वास में बना आगा-पाछा व्या गाटा बण्या तका रेवो अन परबू को काम करबा वाते खुद ने त्यार राको, काँके थाँ तो जाणो हो के, परबू वाते किदो ग्यो काम बेकार ने वे जावे।