31 तो पोलुस सेनापती अन सपायाऊँ क्यो, “यद्याँ ईं लोग जाँज पे ने रिया तो थाँ भी ने बंच सको।”
ज्याँने भी परमेसर मने हुप्याँ हे वीं हाराई मारा नके आई अन ज्यो कुई मारा नके आई, वणाऊँ मूँ कदी भी मुण्डो ने फेरूँ।
पण सेनापती पोलुस की बाताँ ने, ने मानन जाँज का मालिक अन जाँज ने चलाबावाळा की बात मानी।
पण जाँज में काम करबावाळा जाँजऊँ भागणा छारिया हा। आगला पाल्ड़े लंगर ने फेंकबा का बायने बंचबावाळी नावा ने रेटे उतारन जाणा छारिया।
तद्याँ सपायाँ हींदरा ने काटन फोरी नाव ने समन्द में वेवा दिदी।
अन जिंने तरता ने आवे वीं जाँज का टूटा तका पाट्याँ-पूटी ने अन चिजाँ ने पकड़न बारणे निकळ जावे, अणी तरियाऊँ हंगळा बंचग्या।