30 पण जाँज में काम करबावाळा जाँजऊँ भागणा छारिया हा। आगला पाल्ड़े लंगर ने फेंकबा का बायने बंचबावाळी नावा ने रेटे उतारन जाणा छारिया।
जद्याँ जाँज रोदा नाम का एक फोराक टापू के आड़ में आयो तद्याँ माँ बंचबावाळी फोरी नाव ने घणी अबकीऊँ बंचान ठाणे किदी।
जद्याँ डूँज की चवदवी रात वी, अन माँ धक्का खाता तका अद्रिया का समन्द में पराग्या हा, जद्याँ आदीक रात का जाँजवाळा आसरो लगायो के, आपीं कणी कनारा का नके हा।
तद्याँ पाणी में मोटा भाटाऊँ टकरावा की दरपऊँ माँ जाँज का पाला पाल्डे चार लंगर पाणी में नाक दिदा अन वीं दन ऊँगवा की अरज करबा लागा।
तो पोलुस सेनापती अन सपायाऊँ क्यो, “यद्याँ ईं लोग जाँज पे ने रिया तो थाँ भी ने बंच सको।”
तद्याँ सपायाँ हींदरा ने काटन फोरी नाव ने समन्द में वेवा दिदी।