25 ईं वाते राजी वे जावो, काँके मूँ परमेसर पे विस्वास करूँ हूँ के, जस्यान माराऊँ क्यो हे वस्यानीस वेई।
ज्यो बाताँ परबू थने की हे, वींने थें मानी के, वीं पुरी वेई। ईं वाते थूँ धन्न हे।”
पण सेनापती पोलुस की बाताँ ने, ने मानन जाँज का मालिक अन जाँज ने चलाबावाळा की बात मानी।
तद्याँ वीं हंगळा भी हिम्मत राकन रोट्याँ खाबा लागा।
अन ईं वजेऊँ मूँ ईं हारई दुक जेलूँ हूँ, पण मूँ ईं वाते हरमा ने मरूँ हूँ, काँके मूँ जाणूँ हूँ के, मारो विस्वास किंपे हे? अन मूँ ईं बात वाते पाको हूँ के, ज्यो कई वणा मने हूँप्यो हे, वींने मसी के पाच्छा आबा का दन तईं बंचाबा में तागतवर हे।