जद्याँ डूँज की चवदवी रात वी, अन माँ धक्का खाता तका अद्रिया का समन्द में पराग्या हा, जद्याँ आदीक रात का जाँजवाळा आसरो लगायो के, आपीं कणी कनारा का नके हा।
पाणी में चालबावाळा जाँज ने देको, वो पलई कतराई मोटा काँ ने वेवे अन जोर का बईरा का हाते परो जावे हे, पण एक फोरीक पतवारऊँ वींने चलायो जावे अन चलाबावाळा वींने काबू में करन जटे ले जाणो छावे, वटे ले जावे हे।