10 “हो भला मनक, मने अस्यान लागरियो हे के, अणी जातरा में घणो नकसाण वेई, बेस जाँज अन माल कोईस ने पण आपणाँ जीव को भी नकसाण वेई।”
जद्याँ साइपरस दिक्यो, तो माँ लंकव सिरिया आड़ी चाल पड़्या अन सूर में जा पोछ्याँ, काँके वटे जाँज मूँ माल उतारनो हो अन माँ भी वटेईस उतरग्या।
तो पोलुस सेनापती अन सपायाऊँ क्यो, “यद्याँ ईं लोग जाँज पे ने रिया तो थाँ भी ने बंच सको।”
ईं वाते थाँकाऊँ अरज करूँ हूँ के, कई खालो, जणीऊँ थाँ बंच सको, काँके थाँकामूँ किंको भी एक भी बाल वाको ने वेई।”
अन जस्यान सास्तर में लिक्यो तको हे के, “यद्याँ धरमी मनक को भी बचणो घणो अबको हे तो पछे तो पाप्याँ अन भगतीऊँ छेटी रेबावाळा को कई वेई?”