थरप्या तका का काम 26:5 - नुवो नेम (मेवड़ी नया नियम)
5 वीं मने नरई पेल्याऊँ जाणे हे, यद्याँ वीं गवई देणा छावे, तो वे आ गवई दे सके के, मूँ सरुआतऊँ एक फरीसी वेन आपणाँ धरम का हंगळाऊँ खरा पन्त के जस्यान जीवन जियो हो।
मूँ एक यहूदी मनक हूँ, अन किलिकिया देस का तरसूस नगर में मारो जनम व्यो, पण अणी नगर में गमलियल मारसाब का अटे भण्यो जस्यान के, बापदादा की वेवस्ता ने बड़या तरियऊँ हिक्यो, अन परमेसर का वाते अस्यी धुन लगई ही, जस्यान थाँ आज लगई मेली हे।
खुद मोटा याजक अन बड़ाबा की सबा भी ईं बात ने साबत कर सके हे। में दमिसक में रेबावाळा यहूदी लोगाँ का वाते अणा लोगाऊँ कागद पायो ताँके मूँ वटे जऊँ अन ईसू ने मानबावाळा लोगाँ ने बन्दी बणान यरूसलेम लऊँ ताँके वाँने दण्ड दे सके।
तद्याँ पोलुस ओ हमजो के एक समू सदुकियाँ को अन दूजो फरीसियाँ को हे, तो सबा में जोरऊँ क्यो, “हो भायाँ, मूँ फरीसी हूँ अन फरीसी की ओलाद हूँ। मरिया केड़े पाछो जीवतो वेबा की बात पे मूँ विस्वास करूँ हूँ ईं वाते मारा पे मुकदमो चलायो जारियो हे।”
पण मूँ थाँरा हामे ओ मानूँ हूँ के, जिंने ईं पन्त केवे हे अन खोटो केवे हे, वींका रिति-रिवाजऊँ मूँ आपणाँ बापदादा का परमेसर की सेवा-चाकरी करूँ हूँ, अन जीं बाताँ वेवस्ता अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा की किताबाँ में लिकी हे, वीं हारी पे मूँ विस्वास करूँ हूँ।