अन वे दमिसक का परातना-घराँ को वींने ओळकाण की एक पानड़ी देबा का वाते अरज किदी। ताँके वींने वटे कुई भी ईं पन्त को मनक मले, पलेई वा लुगई वेवे कन आदमी, वो वाँने बन्दी बणान पाच्छा यरूसलेम लावे।
नरी दाण तो मूँ लम्बी जातरा पे ग्यो, नरी दाण खतरनाक नन्दयाँ, जबरा डाकूँऊँ, खुद का लोगाऊँ, ज्यो यहूदी ने हा वाकाँऊँ खतरा को सामनो किदो, नरी दाण नगरा में, समन्द में, काकड़ में, दिकावटी भायाँऊँ खतरा को सामनो किदो।