हेरोदेस राजा का राज करबा की टेम में जद्याँ यहूदियाँ परदेस का बेतलेम नगर में ईसू को जनम व्यो, तो उगमणी दसाऊँ नरई ज्योतिसी माराज यरूसलेम में आन यो पूँछबा लागा के,
जद्याँ हेरोदेस यो देक्यो के, ज्योतिसी माराज वींकी लारे धोको किदो हे, तो वो रीस में आग्यो अन आदेस देन मनकाँ ने खन्दान, ज्योतिसी माराज क्यो वीं टेम के, लगे-भगे का जनम्याँ बेतलेम अन वींकी अड़े-भड़े का गामड़ा का हाराई दो वर तईं का बाळकाँ ने मरबा नाक्या।
तद्याँ वीं ईसू ने केफा का नकेऊँ रोमी राजपाल का दरबार में लेग्या अन भाग-फाट्याँ को टेम हो, पण यहूदी अदिकारी ज्यो वींने लेग्या हाँ वीं खुद दरबार मयने ने ग्या, ताँके असुद ने वेवे, पण फसे का तेवार को खाणो खा सके।
जद्याँ मने नंगे पड़ी के, वणा यहूदियाँ पोलुस ने मारबा की अटकळ लगई हे, तो में तरत ईंने थाँरा नके खन्दा दिदो, अन दोस लगाबावाळा ने आग्या दिदी के, वीं थाँरा हामे ईंकी बात करे।”
फेलिक्स राजपाल, जो अणी परमेसर का गेला का बारा में हव तरियाऊँ जाणतो हो, वणी ओ केन बात रोक दिदी के, “जद्याँ सेनापती लुसियास आई, तद्याँ थारी बात को न्याव करूँ।”
में वाँकाऊँ क्यो, ‘रोमियाँ में अस्या रिति-रिवाज कोयने हे के, दोस लगाया तका मनक ने वाद-विवाद करन वींने बंचबा को मोको दिदा बनाई वींने दण्ड का वाते हूँप्यो जावे।’