23 तद्याँ सेनापती अदिकारियाँ मूँ दो ने बलान क्यो, “दोस्ये सपई, हित्तर घुड़ सवारीवाळा, अन दोस्ये भाला चलाबावाळा सपायाँ ने आज रात नो बज्याँ केसरिया देस जाबा के वाते त्यार राको।
ईसू रात के चोती पोर में लगे-भगे भाग फाट्या समन्द पे चालतो तको वाँका नके आयो।
यद्याँ वी रात में दूजाँ पेर कन तीजा पेर में आन वाँने जागता देके, तो वी दास धन्न हे।
तद्याँ सेनापती वीं मोट्यार ने आ आग्या देन खन्दायो के, “जो कई थें मने क्यो, ओ किंने भी केज्ये मती।”
जस्यान वणी सपायाँ ने आग्या दिदी ही, वस्यानीस वीं रातूँ-रात आन्तिपत्रिस नगर तईं लेग्या।
दूजे दन घुड़ सवारीवाळा सपायाँ ने वींका हाते आगे जाबा वाते छोड़, बाकी सपई आपणी छावणी में आग्या।
वाँकाणी केसरिया देस जान राजपाल ने कागद देन पोलुस ने हूँप दिदो।
पण वटा का सेनापती लुसियास अणी ने माकाँ पूँ जोरावरीऊँ कोस लिदो।
फिलिपुस खुद ने असदोद नगर में पायो अन हारई नगराँ में हव हमच्यार को परच्यार करतो तको केसरिया नगर में परोग्यो।