19 सेनापती वीं मोट्यार को हात पकड़्यो अन छेटी लेजान पूँछ्यो, “बोल, थूँ मने कई केणो छारियो हे?”
पछे ईसू वींने पूँछ्यो, “थूँ मारा नकूँ कई छावे हे?” वीं आन्दे ईसुऊँ क्यो, “ओ गरुजी, मूँ देकणो छाऊँ हूँ।”
वणा आन्दा मनक को हात पकड़्यो अन वींने गाम का बारणे लेग्या। वणा वींकी आक्याँ पे थूँक्यो। आपणो हात वींपे मेल्यो अन वींने पूँछ्यो “कई, थने दिकरियो हे?”
पछे ईसू छोरा ने हातऊँ पकड़न बेटो किदो। तो वो ऊबो वेग्यो।
तद्याँ रोमी सपायाँ अन वाँका सूबेदार अन यहूदियाँ का मन्दर का चोकीदार ईसू ने पकड़ लिदा अन बाँदन,
तद्याँ वीं वींने आपणाँ हाते अरियुपगुस नाम की सबा में लेग्या अन पुछ्यो, “कई माँ जाण सका हाँ के, थूँ ओ नुवी बाताँ हुणावे हे, वे कई हे?
ईं वाते अदिकारी सेनापती का नके वीं मोट्यार ने लेजान क्यो, “जेल में बन्द पोलुस माराऊँ क्यो के, ईं मोट्यार ने सेनापती नके ले जावो, ओ वाँने कई केणो छारियो हे।”
वणी क्यो, “यहूदियाँ अटकळ लगई हे, थाकाँऊँ हाता-जोड़ी करन काले पोलुस को सई तरियऊँ पतो करबा का बायने, पोलुस ने मोटी सबा में लाई,