16 पोलुस के भाणेज ओ हुण्यो के, वीं पोलुस ने मारबा का होगन खादा हे तो वो छावणी में जान पोलुस ने के दिदो।
पण भीड़ में कुई कई केरियो अन दूजाँ ओरुँ कई केरिया हा अन जोरकी हाका-भार में वो हाँची बात ने हमज ने सक्यो, तो वणी वींने छावणी में लेजाबा को हुकम दिदो।
जद्याँ वीं पोलुस ने ले जारिया हा, तो पोलुस सेनापतीऊँ क्यो, “कई मूँ कई के सकूँ।” जदी वणी क्यो, “कई थूँ युनानी भासा जाणे हे?”
जद्याँ सबा में घणी माता-फोड़ी वेगी तो सेनापती दरपग्यो के, कटे पोलुस का गट्टा-गट्टा ने कर नाके। वणी सपायाँ ने हुकम दिदो के, “रेटे समू में जान पोलुस ने सबा मूँ छावणी में ले जावो।”
तद्याँ पोलुस अदिकारियाँ मूँ एक जणा ने आपणाँ नके बलान क्यो, “ईं मोट्यार ने सेनापती नके ले जावो, ओ वाँने कई केणो छारियो हे।”
दूजे दन घुड़ सवारीवाळा सपायाँ ने वींका हाते आगे जाबा वाते छोड़, बाकी सपई आपणी छावणी में आग्या।
अन अदिकारी ने हुकम दिदो के पोलुस ने लेजान थोड़ीक आजादी का हाते रुकाळी करो अन ईंका हण्डाळ्याँ मूँ कुई भी ईंकी मदत करे तो रोकज्यो मती।
काँके ईं दनियाँ को ग्यान परमेसर का हामे बेण्डोपणो हे। जस्यान के सास्तर में लिक्यो हे के, “परमेसर ग्यानवाळा मनकाँ ने वाँका खुद का ग्यान में फसा देई।”