11 वीं रात में परबू पोलुस के नके ऊबा रेन क्यो, “हे पोलुस, हिम्मत राक, काँके जस्यान थें यरूसलेम में मारी गवई दिदी, वस्यानीस थने रोम में भी गवई देणी हे।”
तद्याँ ईसू तरत वाँकाऊँ क्यो, “हिम्मत राको! मूँ हूँ, दरपो मती!”
अन वाँने हारी बाताँ ज्यो में थाँने क्यो हो, वाँने मानबा हिकावो। आद राकज्यो, मूँ दनियाँ का अंत तईं हमेस्यान थाँका हाते हूँ।”
लोग-बाग एक माँदा ने माचा पे हुवाण वाँके नके लाया, ईसू वाँका विस्वास ने देकन वणी लकवा का माँदा मनकऊँ क्यो, “बाळक हिम्मत राक, थाँरा पाप माप वेग्या हे।”
ताँके वो मारे पाँच भई हे, वाँने चेतावे, कटे अस्यान ने वे के, वी भी अणी दुक में पड़े।”
“मूँ थाँने एकला ने छोड़ूँ। मूँ थाँका नके आऊँ।
में थाकाँऊँ ईं बाताँ ईं वाते किदी के, थाँने माराऊँ सान्ती मले, दनियाँ में तो थाँने दुक मल्यो हे पण हिम्मत राको, में दनियाँ ने जीत लिदी हे।”
परबू एक रात में पोलुस ने दरसावो देन क्यो, “दरप मती, अन बचन हूणातो रे, छानो मती रे,
ईं बाताँ व्या केड़े पोलुस आपणी आत्मा में होच्यो के मकिदुनिया अन अखाया वेन यरूसलेम जाऊँ, अन क्यो “वटे जान मने रोम में भी जाणो पड़ी।”
जस्यान के दाऊद वींका बारा में क्यो हे, “‘में परबुजी ने हमेस्यान आपणाँ हामेईस देक्या हे, वीं मारा हाते हे, ताँके मूँ डगूँ कोयने।
अबे देको, मूँ पुवितर आत्मा की आग्याऊँ यरूसलेम जारियो हूँ, मूँ ने जाणूँ के वटे मारा पे कई बीती।
काँके थूँ वींको हंगळा लोगाँ के हामे वणी बाताँ को गवा हे जिंने थें देकी अन हूणी हे।
अन वींमें में परबू ने देक्या अन परबू मने कई केरिया हे, “फटाकऊँ यरूसलेमऊँ परोजा, काँके अटाका लोग मारा बारा में थारी गवई ने मानी।”
कई मूँ आजाद ने हूँ? कई मूँ खन्दायो तको ने हूँ? कई में ईसू का दरसण ने किदा हे? कई थाँ हाराई मारा का काम का वजेऊँ परबू में ने आया हो?
अणीऊँ रोम माराजा के मेल का हंगळा पेरादार अन हाराई लोग ओ तो हमजग्या हे के, मूँ मसी का वाते जेळ में हूँ।
पण परमेसर मारा हाते ऊबारियो अन मने तागत दिदी, जणीऊँ तो मूँ ज्यो यहूदी ने हा, वणा हाराई में हव हमच्यार हुणा सक्यो अन मूँ मोत का दण्डऊँ बंचायो ग्यो।