तद्याँ रोमी सेनापती अन ज्यो वींका हाते ईसू के पेरो देरियो हाँ, भूकम अन ज्यो कई व्यो हो, वींने देकन घणा दरपग्या अन क्यो, “हाँचई में ओ परमेसर को पूत हो।”
पण पोलुस अदिकारियाँ ने क्यो “माँ रोमी मनक हाँ, तुई वे बना दोसऊँ माँने मनकाँ के हामे कुट्या अन जेळ में नाक्या, अबे कई माँने छानेकूँ निकळबाने केरिया हो?, अस्यान ने वेवे, पण वीं खुद आन माने बारणे काड़ी।”
में वाँकाऊँ क्यो, ‘रोमियाँ में अस्या रिति-रिवाज कोयने हे के, दोस लगाया तका मनक ने वाद-विवाद करन वींने बंचबा को मोको दिदा बनाई वींने दण्ड का वाते हूँप्यो जावे।’
जद्याँ आ बात ते वेगी के आपीं जाँजऊँ इटली जावाँ, तो वाँकाणी पोलुस अन वींका हातेवाळा ने युलियुस नाम का हो सपायाँ का सेनापती ने हूँप दिदा, वीं फोज ने “राजा की फोज” केता हा।