पतरस वाँने क्यो, “मन ने बदलो अन आपणाँ पापाँ की मापी के वाते थें हारई ईसू मसी का नामऊँ बतिस्मो लेवो। परमेसर थाँने पापाऊँ मापी देई अन थाँने पुवितर आत्मा को दान मल जाई।
कुरिन्तुस में परमेसर की वणा मण्डळ्याँ का नाम लिक्यो, जीं ईसू मसी में पुवितर किदी गी, ज्याँने परमेसर आपणाँ मनक बणाबा का वाते चुण्या हा, जीं हरेक जगाँ आपणाँ अन वाँका परबू ईसू मसी को नाम लेवे हे।
यो ईं वाते ने व्यो के, आपाँ धरम का काम कररिया हा, पण आ वाँकी करपाइस ही के, वो आपाँने पुवितर आत्मा का आड़ीऊँ बंचावे, ज्या आपाँने धोन नुवो जनम अन नुवो जीवन देवे हे।
वो पाणी भी बतिस्मा का जस्यान हे, जणीऊँ अबे थाँ बंचाया जावो हो। अणी बतिस्मा को मतलब यो कोयने के, देह को मेल धोयो जावे, पण मन ने पुवितर करन खुद ने परमेसर का आड़ी फेरणो वेवे हे, काँके ईसू मसी मरिया तका मेंऊँ पाच्छा जीवता किदा ग्या हा।