11 वीं अणाचेत का उजिताऊँ मने दिकतो बन्द वेग्यो, ईं वाते मारा हण्डाळ्याँ मारो हात पकड़न दमिसक में लेग्या।”
ईं वाते यद्याँ थाँकी आकी देह उजितो हे अन वींको कस्यो भी भाग अन्दारावाळो ने रेवे, तो आकी देह अस्यो उजितो देई, जस्यान दिवो हगलती दाण आपणी चमकऊँ थाँने उजितो देवे हे।”
अबे देक परबू को हात थाँरा दयने आरियो हे। थूँ आन्दो वे जाई अन थोड़ाक दनाँ तईं दन को उजितो भी ने देक सेकी।” तरत वींने धुधळो दिकबा लागो अन अन्दारो पड़ग्यो, वो अटने-वटने हात लाम्बो करबा लागो के, कुई वींको हात पकड़न वींने चलावे।