10 तद्याँ में क्यो, ‘हो परबू, मूँ कई करूँ?’ परबू माराऊँ क्यो, ‘ऊबो वे अटूँ दमिसक में जा, अन वटे थने वो हारोई बता दिदो जाई जिंका वाते परमेसर थने चुण्यो हे।’
ईं वाते में तरत थने बलाबा खन्दाया अन थें अटे आन हव काम किदो। तो अबे परमेसर की मोजुदगी में माँ वो हारई हुणबा के वाते त्यार हा, जो परबू थने आदेस दिदो हे।
अन वाँने बारणे लान क्यो, “हो भई-लोगाँ! बंचबा के वाते मूँ कई करूँ?”
लोग-बागाँ जद्याँ ओ हुण्यो, तो वाँको मन दकी वेग्यो अन पतरस की लारे दूजाँ चेलाऊँ क्यो, “तो भायाँ, माने कई करणो छावे?”
वीं अणाचेत का उजिताऊँ मने दिकतो बन्द वेग्यो, ईं वाते मारा हण्डाळ्याँ मारो हात पकड़न दमिसक में लेग्या।”
पण, अबे थूँ ऊबो वेजा अन नगर में जा, वटे थने बता दिदो जाई के, थने कई करणो हे।