37 तद्याँ वीं हंगळा घणा रोया अन पोलुस के गळे मलबा लाग्या।
तद्याँ वो वटूँ आपणाँ पापाँ का नके परोग्यो। “वो थोड़ाक छेटी हो अन वींका बापू वींने देक लिदो तो वींका बापू ने वींपे घणी दया अई। ईं वाते वो दोड़न वींने आपणे गळे लगा दिदो अन बोको दिदो।
थाँ हात-जोड़न एक दूजाँ ने नमस्कार करिया करो। थाँने हारी मसी मण्डळ्याँ का आड़ीऊँ नमस्कार।
अन हाराई विस्वासी भायाँ का आड़ीऊँ भी थाँने नमस्कार एक-दूजाऊँ गळे मलन एक दूजाँ को आदर करज्यो।
एक-दूँजा का गळे मलन एक-दूँजा को मान करिया करो।
हाराई विस्वास्याँ के गळे मलन जे मसी की करिया करो।
थाँरा आँसूवा ने आद करन हमेस्यान मारा हरदा में आ मरजी वेवे के, मूँ थाँराऊँ वेगोई मलूँ अन राजी वे जऊँ।
अन वो वाँकी आक्याँ का आसूँ पुछ नाकी अन ईंका केड़े मोत ने रेई, अन ने होक, ने रोणो-धोणो, ने पिड़ा रेई, काँके पेल्याँ की बाताँ जाती री ही।”
काँके ज्यो उन्यो गादी का बचमें में हे वो वाँकी रुकाळी करी। अन वो वाँने जीवन देबावाळा पाणी की सोता का नके लेन जाई अन परमेसर वाँकी आक्याँ का हाराई आसूँ पुछ देई।”