36 ओ केन वणी गोडा टेकन हंगळा के लारे परातना किदी।
अन ईसू वणाऊँ अलग एक भाटो फेंक्यो जावे वतराक छेटी जान गोडा टेकन परातना करबा लागा,
में थाँने हंगळो करन दिकायो के अस्यान मेनत करता तका गरीबा ने हमाळो अन परबू का बचन ने रोज याद राकज्यो, जो वणी क्यो हो के, “लेबाऊँ देणो हव हे।”
जद्याँ वीं दन पूरा वेग्या तो माँ वटूँ चाल पड़या, अन वटा का हंगळा मनक अन वाँकी लुगायाँ अन छोरा-छोरी माँने नगर का बारणे तईं मेलवा आया, अन समन्द का कनारे माँ हंगळा गोडा टेकन परातना किदी।
पछे वो गोडा टेकन कल्ड़ी अवाजऊँ क्यो, “परबू, ईं पाप ने वाँका माते मत नाकजो।” अतरोक केन वो मरग्यो।
पतरस हारई जणा ने बारणे खन्दान गोडा टेकन परातना किदी। पछे वीं लास दयने देकन क्यो, “हे तबीता, ऊबी वेजा।” वा आपणी आक्याँ खोलन पतरस ने देकती तकी उटी वेगी।
ईं मस मूँ बापू परमेसर का हामे परातना करबा ने गोडा टेकूँ हूँ।
कणी भी बात की चन्ता मत करो पण थाँकी हारी अरज अन विनती धन्नेवाद का हाते परमेसरऊँ करता जावो।