“ओ कपटी मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ एक जणा ने आपणाँ आड़ी लाबा का वाते रात-दन एक कर देवो हो। जद्याँ वो थाँका आड़ी आ जावे हे तो वींने आपणाँऊँ हेलो हुगलो बणा देवो हो।
पछे बरनबास वींने अन्ताक्या में लायो अन वीं मण्डली का लोगाँ में भेळा वेता हा अन नरई लोगाँ का समू ने हिकाता हा। अन्ताक्या मेंईस पेली दाण चेला “मसीही” केवाया।
अन वाँ घर-घर फरन आपणो टेम बगाड़णो हिक जावे हे, अन अणीऊँ भी हेलो वाँ फोकट की बाताँ करणी अन दूजाँ का काम में टाँग अड़ाणी हिक जावे हे। जणा बाताँ का बारा में बात ने करणी छावे, वाँका बारा में बाताँ करे हे।
ईं मनक बेकार में मेपणा की बाताँ करन कुकरम की कामाँ के वजेऊँ वणा मनकाँ ने जीं अबे भटक्या तका मनक मेंऊँ निकाळणो छारियो हे वाँने देह की मनसा में फसा लेवे हे।
ईं दनियाँ में नरई भटकाबावाळा मनक हे। अन ज्यो भी मनक ईं बात ने, ने माने के, ईसू मसी ईं धरती पे मनक का रूप में आया। अस्या मनक धोको देबावाळा अन मसी का दसमण हे।