“देको हूँस्यार रेज्यो, मूँ थाँने अदिकार का हाते अस्यान बारणे खन्दारियो हूँ जस्यान गारा ने वरगड़ा का बचमें खन्दाया जावे ईं वाते हाँप का जस्यान हेंचेत रो अन परेवड़ा का जस्यान भोळा बणो।
पण दानकी पे गारा ने चराबावाळो ने तो हव गवाळ्यो वेवे हे अन ने गारा को मालिक वेवे हे। ईं वाते जद्याँ बरगड़ा ने आतो देके, तो गारा ने हुन्ना छोड़न भाग जावे हे अन बरगड़ो वाँने पकड़बा का वाते जपटा मारन वाँने बखेर देवे हे।
ईं वाते थाँ आपणो अन आपणी हाराई गारा को ध्यान राको जिंने पुवितर आत्मा थाँका हात में हुप्याँ हे के, थाँ परमेसर की मण्डली की रुकाळी करो, ज्याँने परमेसर आपणाँ बेटा का लुईऊँ मोल लिदी हे।
मूँ थाँने हमजाऊँ हूँ के, परमेसर की मडळी ज्याँ थाँकी देक-रेक में हे वींकी रुकाळी करो। ओ काम किंकई दबाव में आन मती करो पण परमेसर की मरजीऊँ राजी वेन करो। धन का लाळच की वजेऊँ ओ काम मती करो, पण मन लगान यो काम करो।
जस्यान वीं टेम में वणा लोगाँ में परमेसर का आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा हा, वस्यानीस थाँका मयने भी परमेसर की आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा वेई, वीं छानेऊँ नास करबावाळा कामाँ ने करी अन वीं वणी मालिक को मान ने करी, जणी वाँने आजाद किदा हा, अस्यान करन वीं खुद को फटाकऊँ नास कर देई।