जद्याँ ईसू यो हुण्यो तो अचम्बा में पड़न आपणाँ पाच्छे आरिया हा वाँने क्यो, “मूँ थाँने हाचेई कूँ हूँ के, में अस्यो विस्वास इजराएल का मनकाँ में भी ने देक्यो।”
हारई जणा अचम्बा में पड़ग्या अन अतरो अचम्बो व्यो के, वे एक-दूँजा ने पूँछबा लागा, “यो कई हे? यो कई नुवो उपदेस हे? वो हकऊँ हुगली आत्माने आदेस देवे अन वा आत्मा वींने भी माने हे।”
वो ऊबो व्यो, तरत आपणो माचो तोक्यो अन वाँ हंगळा ने देकतईं देकता वो बारणे परोग्यो। यो देकन हारई जणा अचम्बा में पड़ग्या, अन वाँकाणी परमेसर की बड़ई किदी अन बोल्या, “माँकाणी अस्यी बात कटेई ने देकी।”
अन पछे वाँ दुई जणा क्यो, “ओ गलील का रेबावाळा, थाँ अटे ऊबा-ऊबा आकास में काँ देकरिया हो? वीं ईसू, जीं आज अटूँ हरग में पराग्या वस्यानीस, एक दन थाँ वाँने पाच्छा हरगऊँ आता तका देको।”
लोग-बागाँ वींने ओळक लिदो के, ओ तो वोईस मनक हे, जो मन्दर का सुन्दर नाम का बाना पे बेटन भीक मांगतो हो। वींका पे जा करपा व्यी, वीं बात पे वे अचम्बा अन हक्का-बक्का रेग्या।