“ओ मारा भई-लोगाँ, मूँ पूरा भरोसाऊँ आपणाँ बड़ाबा दाऊद का बारा में थाँने बता सकूँ के, वींकी मोत वेगी अन वींने गाड़ दिदो, अटा तईं के, वींकी कबर अटे आज भी मोजुद हे।
विस्वास का मालिक अन वींने सिद करबावाळा ईसू मसी का आड़ी आपाँ देकता रा। जणी आपणाँ हामें राक्या तका आणन्द का वाते लाज-सरम की चन्ता ने किदी अन हूळी पे दुक जेल्यो अन परमेसर की गादी के जीमणे पाल्डे जान बेटग्यो।