26 ईंऊँ मारो मन राजी हे, अन मारा मुण्डाऊँ राजी-खुसी की बाताँ निकळी, मारी काया भी आस में जीई,
जस्यान के दाऊद वींका बारा में क्यो हे, “‘में परबुजी ने हमेस्यान आपणाँ हामेईस देक्या हे, वीं मारा हाते हे, ताँके मूँ डगूँ कोयने।
काँके थूँ मारी आत्माने पाताळ मेंईस ने छोड़ी, थूँ आपणाँ ईं पुवितर मनक ने कबर में हड़बा ने देई।