पोलुस इपिसुस का नके वेन जाणो छायो, काँके कटे अस्यान ने वे के आसिया में मोड़ो वेजा। वो ईं वाते आगत कररियो हो, के वे सके तो पिन्तेकुस के तेंवार के दन यरूसलेम में रेवे।
जद्याँ वाँ लोगाँ ओ हुण्यो, तो वे एक मन वेन परमेसरऊँ कल्ड़ी अवाज में परातना करबा लागा के, “मालिक, थाँईस हो जो आकास, धरती, समन्द अन वीं मयने जो भी हे, वींने बणायो।
थाँ थाँको जीवन मसी का हव हमच्यार के जोगो जियो, ताँके यद्याँ मूँ आन थाँने देकूँ कन ने देकूँ पण थाँका बारा में मूँ ओ हुण सकूँ के, थाँ एक मन अन एक मकसदऊँ अटल रेन हव हमच्यार का विस्वास का वाते कल्ड़ी मेनत कररिया हो।