वो यहूदियाँ का परातना घर में बना दरप्या बोलतो हो। प्रिसकिल्ला अन अक्विला वींकी बाताँ ने हुणन वींने आपणाँ घरे लेग्या अन वणी वाँने परमेसर का गेला का बारा में एकदम सई तरियऊँ हमजाया।
पण जद्याँ थोड़ाक लोग नसेड़ा वेन वींकी बात पे विस्वास ने किदो अन लोगाँ का हामे परमेसर का गेला का बारा में भलो-बुरो केबा लागा। तो पोलुस वाँने छोड़ दिदा अन चेला ने लारे ले लिदा अन पछे हर-दन तुरनुस नाम की पाटसाला में बात-बच्यार करतो रियो।
पण मूँ थाँरा हामे ओ मानूँ हूँ के, जिंने ईं पन्त केवे हे अन खोटो केवे हे, वींका रिति-रिवाजऊँ मूँ आपणाँ बापदादा का परमेसर की सेवा-चाकरी करूँ हूँ, अन जीं बाताँ वेवस्ता अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा की किताबाँ में लिकी हे, वीं हारी पे मूँ विस्वास करूँ हूँ।
फेलिक्स राजपाल, जो अणी परमेसर का गेला का बारा में हव तरियाऊँ जाणतो हो, वणी ओ केन बात रोक दिदी के, “जद्याँ सेनापती लुसियास आई, तद्याँ थारी बात को न्याव करूँ।”
अन वे दमिसक का परातना-घराँ को वींने ओळकाण की एक पानड़ी देबा का वाते अरज किदी। ताँके वींने वटे कुई भी ईं पन्त को मनक मले, पलेई वा लुगई वेवे कन आदमी, वो वाँने बन्दी बणान पाच्छा यरूसलेम लावे।
नरी दाण तो मूँ लम्बी जातरा पे ग्यो, नरी दाण खतरनाक नन्दयाँ, जबरा डाकूँऊँ, खुद का लोगाऊँ, ज्यो यहूदी ने हा वाकाँऊँ खतरा को सामनो किदो, नरी दाण नगरा में, समन्द में, काकड़ में, दिकावटी भायाँऊँ खतरा को सामनो किदो।
माँने फोगट्या हमजे हे जद्याँ के माँ तो मान्याँ तका हाँ अन माँने मरिया तका जाणे हे, जद्याँ के माँ तो जीवता हाँ। माँने दण्ड पाबावाळा का जस्यान जाणे हे, तद्याँ भी माँ मोत ने ने हुप्याँ जावाँ हाँ