ईसू या बात पुवितर आत्मा का बारा में किदी ही, ज्या वींपे विस्वास करबावाळा ने मलबावाळी ही। अबाणू तईं या आत्मा किंने भी ने मली ही, काँके ईसू आलतरे आपणी मेमा उटाया ने ग्या हा।
“‘परमेसर केवे के अन्त की टेम में अस्यो वेई के, मूँ आपणी आत्मा हारई मनकाँ में नाकूँ, थाँका बेटा-बेटी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबा लाग जाई, थाँका मोट्यार मनक दरसावो देकी, अन भूण्डा-ठाड़ा लोग-बाग हपनो देकी।
कई थाँ ने जाणो हो के, थाँकी देह पुवितर आत्मा को मन्दर हे, ज्यो थाँकामें बसी तकी हे अन थाँने परमेसर का आड़ीऊँ मली हे अन वाँ थाँकी खुद की ने हे। थाँ खुदऊँ ने पण परमेसर का हो।
परमेसर जणा थाँने आत्मा दिदी हे अन थाँका बचमें अचम्बा का काम करे हे, कई वीं यो ईं वाते करे हे के, थाँ मूसा का नेमा को पालण करो हो कन ज्यो हव हमच्यार थाँ हुण्यो अन विस्वास किदो वींके मस करे हे?