वाँकाणी वाँने क्यो, “ईं वाते नेमा ने हिकाबावाळा ज्यो परमेसर का राज का चेला बण्या हे, वीं वणी घरवाळा का जस्यान हे ज्यो भण्डारऊँ नई अन जूनी चिजाँ बारणे काड़े हे।”
ईसू वणाऊँ पूँछ्यो, “कस्यी बाताँ?” वणा ईसू ने क्यो, “हारी बाताँ नासरत का ईसू का बारा में हे, वो अस्यो मनक हो, जणी ज्यो भी क्यो हो अन ज्यो किदो हो अणीऊँ वणी परमेसर अन हाराई लोग-बागाँ का हामे यो बता दिदो के, वो एक मोटो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो।
पण, आजाद नाम की एक मण्डली का मनक केवाया जो एक यहूदी परातना करबा के घर का मनक कुरेन, सिकन्दरिया, किलिकिया नगर अन आसिया परदेसऊँ आया यहूदी हाँ, वीं वींको विरोद करता तका बात-बच्यार करबा लागा।
अबे मूँ थाँने अपुलोस का बारा में कूँ हूँ, में वींने दूजाँ विस्वासी भायाँ का हाते थाँका नके आबा वाते क्यो हे, पण अबाणू वो थाँका नके आबा का वाते त्यार ने हे, पण जद्याँ भी वींने मोको मली तद्याँ वो थाँका नके आ जाई।
हो विस्वासी भायाँ में ईं बाताँ ज्यो थाँने हिकई हे वीं आपणाँ खुद अन अपुलोस का ऊपरे लागू किदी हे, ताँके थाँ अणी कावत को अरत जाणन हिक सको के, “थाँ सास्तर में लिकी तकी बाताँ ने उलाँगो कोनी” अन एक मनक को पकस लेन कणी दूजाँ का विरोद करता तका मेपणाऊँ ने भर जावो।
ज्यो मनक मारो विरोद करे हे वीं केवे हे के, “वींका कागद तो जोरदार अन नरोगा रूपऊँ लिक्या तका वेवे हे पण जद्याँ वो हामे आवे हे तो वो देह में कमजोर अन बोलबा में भी अतरो खास ने दिके हे।”
मसी का बचना ने आपणाँ हरदा में नराऊँ-नरा वसबा दो अन हाराई ग्यानऊँ एक दूजाँ ने हिकावो अन हेंचेत करता रेवो। थाँका हरदाऊँ परमेसर को धन्नेवाद करता तका भजन, बड़ई का गीत अन आत्मिक गीत गाता रेवो।