थाँ देक्यो अन हुण्यो भी हे के, बेस इपिसुस मेंईस ने, पण हंगळा आसिया का लोगाँ ने पोलुस ओ केन भोळाया हे के, जीं हाताऊँ घड्या तका देवताँ हे, वींमें परमेसर ने हे।
तद्याँ नगर के बाबू, लोगाँ ने छाना करन क्यो “हो इपिसुस का लोगाँ, हंगळा मनक जाणे हे के, इपिसुस मोटी देवी अरतिमिस का मन्दर को रुकाळ्यो हे अन वींकी मूरत हरगऊँ अई हे।
पोलुस इपिसुस का नके वेन जाणो छायो, काँके कटे अस्यान ने वे के आसिया में मोड़ो वेजा। वो ईं वाते आगत कररियो हो, के वे सके तो पिन्तेकुस के तेंवार के दन यरूसलेम में रेवे।
अणा अस्यान किदो, काँके वणा वींने पेल्याँ भी इपिसुस का रेबावाळा त्रुफिमुस का हाते वाँका नगर में देक्यो हो, अन हमजग्या के, वो वींने भी मन्दर में लायो हे।
जद्याँ इपिसुस नगर में मनक जंगली जनावराँ का जस्यान मारे हाते लड़्या तो मने कई मल्यो? अन यद्याँ मरिया तका पाच्छा जीवता ने वेवे, “तो आवो आपाँ खावा-पीवाँ, काँके काले आपाँने भी मरणोइस हे।”
मूँ पोलुस ज्यो, परमेसर की मरजीऊँ ईसू मसीऊँ खास थरप्यो तको मनक हूँ, परमेसर का पुवितर मनक ज्यो ईसू मसी ने माने हे अन इपिसुस नगर में रेवे हे, अणाने ओ कागद लिकरियो हूँ।
अवाज में अस्यान हमच्यार आरियो हो के, “जो कई भी थूँ देकरियो हे, वींने एक किताब का मयने लिकतो जा अन वींके केड़े वींने इपिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिलोदेलफीया अन लिदिकिया की हातई मण्डळ्याँ ने खन्दा दिज्ये।”
“इपिसुस की मण्डली का दुताँ ने ओ संदेस लिक। जणी हातई तारा आपणाँ जीमणा हात में ले राक्या हे अन होना का हातई दिवा का बचमें में फरे हे वो अस्यान केवे हे के,