जद्याँ पिलातुस देक्यो के, कई फायदो कोयने पण ईंका हामे ओरी हाका-हूक वेबा लागी हे, तो वाँकाणी हतेळी में पाणी लेन भीड़ का हामे आपणाँ हात धोया अन क्यो, “मूँ ईं धरमी का लुईऊँ बना दोस को हूँ, थाँईस जाणो।”
यद्याँ में कई गुनो किदो वे अन मारबा के जस्यान काम किदो वे, तो मूँ मरवऊँ आगो-पाछो ने वेऊँ। पण जीं बाताँ को ईं मारा पे दोस लगावे हे, यद्याँ वणा मूँ कई भी बात हाँची ने वेवे तो कुई भी मने वाँका हाताँ में ने हूँप सके। मूँ केसरऊँ हाता-जोड़ी करणो छारियो हूँ।”
अन वाँ मनगड़त केण्याँ अन वंसावल्या पे मन ने लगावे, ज्यो लड़ई-जगड़ो करावे हे अन परमेसर की वीं मरजी ने पुरी ने वेवा देवे हे, ज्या खाली विस्वासऊँ पुरी वे सके हे।