26 वाँकाणी एकीस मनकऊँ हंगळा लोगाँ ने बणाया ताँके वे आकी धरती पे रेवे, अन वणीस ते किदो के, वे कटे रेई अन वाँकी उमरकाळ भी ते किदा।
पण तद्याँ भी वो भलई करतो तको खुद की गवई देतो रियो, आकासऊँ बरका वरई, हारी रिता में हव हाक देतो रियो अन थाँको मन आणन्दऊँ भरतो रियो।”
वेईस बाताँ हे, ज्याँने मूँ पेल्याऊँ केतो आरियो हूँ।’”
अन जस्यान आदम का करम की वजेऊँ हाराई का वाते मोत अई हे, तो वस्यानीस मसी की वजेऊँ हाराई ने पाच्छा जीवता किदा जाई।
पेलो मनक धरती का गाराऊँ बणायो ग्यो हो पण दूज्यो मनक ज्यो मसी हे, वो हरगऊँ आयो हो।
तो पछे आपाँ कस्यान बंच सका? यद्याँ आपाँ ईं मान छुटकाराऊँ बेपरवा वेवा। ईं छूटकारा को पेलो हमच्यार परबू का आड़ीऊँ दिदो ग्यो अन जणा ईं हेला ने हुण्यो, वाँने ईंने आपणाँ वाते ईंने हाँचो साबत किदो हे।