30 अन वाँने बारणे लान क्यो, “हो भई-लोगाँ! बंचबा के वाते मूँ कई करूँ?”
थाँने ईं बात को परमाण देणो पड़ी के, हाचेई थाँका मन बदल्या हे के कोयने।
धन्ने हे वीं, ज्यो दयाळू हे, काँके वाँपे दया किदी जाई।
जद्याँ लोगाँ वणीऊँ पूँछ्यो के, “अबे माँने कई करणो छावे?”
“हो लोगाँ, थाँ ओ कई कररिया हो। माँ भी थाँके जस्यानीस मनक हाँ, अन थाँने हव हमच्यार हुणाबा आया, ताँके थाँ अणा फोगट की चिजाँऊँ छेटी वेन जीवता परमेसर के आड़ी आवो, जणी हरग, धरती, समन्द अन जो कई अणामें हे वणीस बणाया हे।
वाँ पोलुस अन माँके पाच्छे आन हाको करबा लागी के, “ईं मनक परम-परदान परमेसर का भगत हे, जो थाँने बंचाबावाळो गेलो बतावे हे।”
वाँकाणी हुकम मानन वाँने जेळ की मयने की कोटड़ी में नाकन वाँके पगाँ में बेड़ियाँ नाक दिदी।
लोग-बागाँ जद्याँ ओ हुण्यो, तो वाँको मन दकी वेग्यो अन पतरस की लारे दूजाँ चेलाऊँ क्यो, “तो भायाँ, माने कई करणो छावे?”
तद्याँ में क्यो, ‘हो परबू, मूँ कई करूँ?’ परबू माराऊँ क्यो, ‘ऊबो वे अटूँ दमिसक में जा, अन वटे थने वो हारोई बता दिदो जाई जिंका वाते परमेसर थने चुण्यो हे।’
पण, अबे थूँ ऊबो वेजा अन नगर में जा, वटे थने बता दिदो जाई के, थने कई करणो हे।
अन ज्यो दया ने करे, वींको न्याव भी बना दयाऊँ वेई हे। पण दया पाप का दण्डऊँ बचावे हे।