17 पण तद्याँ भी वो भलई करतो तको खुद की गवई देतो रियो, आकासऊँ बरका वरई, हारी रिता में हव हाक देतो रियो अन थाँको मन आणन्दऊँ भरतो रियो।”
जणीऊँ थाँ आपणाँ हरग का परम बापू की ओलाद केवावो, काँके वीं भला अन बुरा दुयाँ पे आपणो सुरज उगावे हे, अन धरमी अन पापी दुयाँ पे बरका वरावे हे।
पण थाँ आपणाँ दसमणाऊँ परेम राको अन भलई करो, अन पाच्छा पाबा की आस ने राकन उदार दो, तद्याँ थाँने मोटो ईनाम मली अन थाँ परबू परमेसर की ओलाद केवावो, काँके परमेसर आग्या ने मानबावाळा अन पापी मनकाँ पे भी दया करे हे।
ओ केन भी भीड़ ने घणी अबकीऊँ रोकी के, वीं वींका वाते बली ने देवे।
वाँकाणी एकीस मनकऊँ हंगळा लोगाँ ने बणाया ताँके वे आकी धरती पे रेवे, अन वणीस ते किदो के, वे कटे रेई अन वाँकी उमरकाळ भी ते किदा।
जतरा मनक ईं धरती पे रिप्यावाळा हे वाँने आग्या दे के, वीं ईंपे मेपणो ने करे, पण वाँकी आस ईं नास वेबावाळा चिजाँ की बजाय परमेसर पे वेवे, ज्यो आपाँने आपणाँ आणन्द का वाते हारी चिजाँ देवे हे।