11 वटा का मनक पोलुस को ओ काम देकन, लुकानिया की भासा में जोरऊँ क्यो, “कुई देवताँ मनक को रूप धारण करन आपणाँ बंच में परगट व्या हे।”
लोगाँ जोरऊँ हारो करन क्यो, “आ तो कस्या देवता की अवाज हे, मनक की तो कोयने हे।”
वणा मनक बरनबास ने जेयास अन पोलुस ने हिरमेस क्यो, काँके पोलुस बाताँ करबा में खास हो।
तो वीं हंगळी बाताँ ने जाणन वटूँ लुकानिया का लुस्त्रा अन दिरबे अन अड़े-भड़े का नगर में भागग्या
पण लोग तो वाट नाळरिया हा के, वींको हात हूजी कन वो एकदम रेटे पड़ जाई अन मर जाई। पण नरई देर तईं वींके कई ने व्यो, तो वाँको बच्यार बदलग्यो के, “ओ कुई देवता हे।”
फोराऊँ लगान मोटा मनक हारई वींकी बात पे चेतो देन केता, “ओ मनक परमेसर की वाँ सगती हे, जिंने ‘मोटी सगती’ केवे हे।”