वे जद्याँ वरत करता तका परबू की मेमा कररिया हा, तद्याँई पुवितर आत्मा क्यो, “बरनबास अन साउल ने जीं काम के वाते में बलाया हा, वीं काम के वाते वाँने न्यारा कर दो।”
अन हनन्या निकळग्यो अन वीं घर मयने ग्यो अन साउल पे आपणो हात मेल्यो अन क्यो, “भई साउल, परबू ईसू मने खन्दायो हे, जो थने गेला में दिकई दिदा हा, ताँके थूँ पाछो देकबा लाग जावे अन पुवितर आत्माऊँ भर जावे।”
थाँरा मयने ज्यो आत्मिक वरदान हे ज्यो थने वीं टेम मल्यो हो, जद्याँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा थाँरा माता पे आसिरवाद देबा का वाते हात मेल्यो हो, वीं वरदान का वाते बेपरवा मती वेज्ये।
लोगाँ का माता पे आसिरवाद देबा का वाते हात मेलन वाँने परमेसर की सेवा में देबा का वाते आगत मती करज्ये। दूजाँ का पाप में भेळो मती वेज्ये, खुद ने खरो बणान राकज्ये।
परमेसर को परच्यार करती दाण नरई गवा की मोजुदगी में, जीं बाताँ थें माराऊँ हिकी हे, वाँने विस्वास जोगा मनकाँ ने हूँप दे, जीं दूजाँ ने हिकाबा को मन राकता वेवे।
ईं वाते तो वणा मण्डली का हामे थाँरा बारा में आ गवई दिदी हे के, थूँ वाँकाऊँ कस्यान को परेम राके हे। ईं वाते जद्याँ थूँ वाँने हिक देवे, तद्याँ अस्यान मदत करज्ये जस्यान परमेसर का मनक का हाते किदी जावे हे।