“ओ कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ मनकाँ का वाते हरग का राज को बारणो बन्द करो हो, ने तो थाँ खुद परवेस करो हो अन ने वींमें परवेस करबावाळा ने परवेस करबा देवो हो।
जद्याँ यहुन्ने यो देक्यो के, नरई फरीसी अन सदुकी वाँका नके बतिस्मो लेबा ने आरिया हे तो वणी वाँकाऊँ क्यो, “ओ, हाँप का बच्या। थाँने कणी हेंचेत कर दिदा हे के, थाँ परमेसर की आबावाळी रीसऊँ बंच निकळो?
धिकार हे नेमा ने हिकाबावाळा ने। थाँ ग्यान का कमाड़ की चाब्याँ तो ले लिदी ही, पण ने तो थाँ वींमें खुद ग्या हो अन ज्यो वींमें जाणा छारिया हा, वाँने भी थाँ रोक दिदा हे।”
जस्यान यसाया परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा लिक्यो हो, वींके जस्यान यहुन्ने वाँकाऊँ क्यो, “मूँ काँकड़ में एक हाका करबावाळा की वाणी हूँ के, ‘थाँ परबू का वाते गेलो हुदो करो।’”
थाँको बाप तो सेतान हो अन थाँ वींकी मरजी ने पुरी करणा छावो हो। वो तो ठेटऊँ हत्यारो हो। वो कदी भी हाँच का आड़ी ने रियो, काँके वींमें हाँच कोयने हे, जद्याँ वो जूट बोले हे, तो आपणाँ हाव-भाव के तरिया बोले हे। काँके वो जूटो हे अन हरेक जूट को बाप हे।
पण मने दरपणी लागे हे, काँके कदी अस्यान ने वेजा के, जस्यान धरती की पेली लुगई ज्या हवा ही, वींने हाँप आपणी चालऊँ भटका दिदी ही, वस्यानीस ईं थाँका मन भी मसी की भगतीऊँ अन पवितरताऊँ ज्यो आपाँने मसी का वाते राकणी छावे, वणीऊँ भटका ने दिदो जावे।
ज्यो भी मनक पाप करतो रेवे हे, वो सेतान को हे, काँके सेतान सरुआतऊँ पाप करतो आयो हे। ईं वाते तो परमेसर को बेटो परगट व्यो, ताँके वो सेतान का कामाँ ने नास कर देवे।