8 तो पछे हरग-दुत वींने क्यो, “त्यार वेन आपणी पगरख्याँ पेर ले।” पतरस भी वस्यानीस किदो। हरग-दुत वींने पाछो क्यो, “मारी लारे आ।”
मूँ तो थाँने मन फेरबा का वाते पाणीऊँ बतिस्मो दूँ हूँ पण वीं ज्यो मारा केड़े आबावाळो हे, वो माराऊँ भी हेलो मोटो हे। मूँ तो वाँका पगरख्याँ का कसणा खोलबा के जोगो भी ने हूँ। वो थाँने पुवितर आत्मा अन वादीऊँ बतिस्मो देई।
थें पगरख्याँ तो पेरज्यो, पण दो-दो कुरता हाते मती लेज्यो।”
धन्न हे वीं दास, जणा ने मालिक जागता तका अन त्यार देके। मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ के, वो भी त्यार वेन वाँने जीमबा का वाते बेवाड़ी अन नके आन वाँकी सेवा-चाकरी करी।
अणाचेत, परबू को एक हरग-दुत वटे आ पूग्यो, जेळ की ओवरी में उजितो वेग्यो, वणी हरग-दुत पतरस को खांदो ठपकारन वींने जगाते तके क्यो, “फटाकऊँ ऊबो वेजा”, तरत हाँकळा वींका हातऊँ आपूँ-आप खलगी।
पछे पतरस वींके पाछे-पाछे बाणे निकळ्यो, पण वींके हमज में ने आरियो हो के, जो भी हरग-दुत कररियो हे वो हाँचई में हे, के मूँ कस्योई हपनो देकरियो हूँ।
काँके जीं परमेसर को मूँ हूँ अन जिंकी भगती मूँ करूँ हूँ, वींको हरग-दुत आज राते मारा नके आन क्यो,
पछे परबू के एक हरग-दुत फिलिपुसऊँ क्यो, “उटन लंकवऊँ पाल्डे वीं कांकड़ का गेला पे जा, जो यरूसलेमऊँ गाजा जारियो हे।”