जद्याँ पिलातुस न्याव की गाद्दी पे बिराज्यो तको हो तो वाँकी लुगई वींने ओ हमच्यार खन्दायो, “थूँ वणी धरमी मनक का मामला में भेळा मती रेज्ये। काँके में आज हपना में वाँका वाते घणो दुक जेल्यो हे।”
वो सूर अन सेदा का मनकाँ पे घणो रिस्याँ बळतो हो। ईं वाते वे अगेटा व्या अन एक मन वेन वींऊँ मलबा आया। वाँकाणी राजा को खास मनक बलासतुस का नके जान वींने मनायो अन पछे वीं हेरोदेस नके जान हमजोता वाते क्यो, काँके वाँका देस में धान हेरोदेस का देसऊँ आतो हो।