14 पतरस की बोली ओळकन वा राजी वेगी अन बना कुँवाड़ खोलियाई दोड़न मयने गी अन क्यो के, पतरस बारणा आगे ऊबो हे।
वटा का मनकाँ ईसू ने ओळक लिदा अन अड़े-भड़े का हाराई देस में हमच्यार खन्दायो अन वीं हाराई माँदा मनकाँ ने वाँका नके लाया,
वीं लुगायाँ दरपी तकी अन आणन्द का हाते कबर पूँ वाँका चेला ने हव हमच्यार देबा का वाते दोड़न गी।
पण वीं हाराई आणन्द अन अचम्बा का मस अबाणू तईं ने हमज सक्या हा के, आपाँ हाँची में ईंने देकरिया हा। तो ईसू वाँने पूँछ्यो, “कई, थाँका नके खाबा का वाते कई हे?”