13 पतरस बारणे का कुँवाड़ ने बजायो, तो वींने देकबा के वाते रूदे नाम की एक दासी अई।
जद्याँ वो बारणे डेळी में ग्यो, तो दूजी नोकराणी वींने देकन ज्यो वटे हाँ वाँकाऊँ क्यो, “ओ भी तो नासरत का ईसू का हाते हो।”
जद्याँ घर को मालिक पोळ का कमाड़ बन्द कर देवे अन थाँ बारणे ऊबा वेन पोळ की हाँकळ वजान केवो, ‘ओ स्वामी जी, माकाँ वाते कमाड़ खोल दो।’ “वो जबाव दे के, ‘मूँ थाँने ने जाणूँ हूँ अन थाँ कटा का हो?’
अटीने पतरस बारणा आगे कुँवाड़ बजाईसरियो हो, तद्याँ वाँ लोग-बागाँ कुँवाड़ खोलन वींने देक्यो, तो वे अचम्बा में पड़ग्या।