12 वींमें हारई तरे का जीव-जनावर हा, ज्यामें धरती का किड़ा-मकोड़ा अन आकास का उड़बावाळा जनावर हा।
पछे तेवार के आकरी दन ज्यो खास दन वेतो हो। वीं दन ईसू ऊबो वेन जोरऊँ क्यो, “यद्याँ कुई तरियो वे तो मारा नके आवे अन पिवे।
अन वे देक्यो के, आकास खुलग्यो अन एक मोटा चादरा जस्यान कई चीज हे जिंका च्याराई खुणा पकड़न रेटे उतररी हे।
पछे एक अवाज अई के, “पतरस उठ अन आने मारन खा।”
वींमें हारई तरे का जीव-जनावर हा, ज्यामें धरती का किड़ा-मकोड़ा अन आकास का उड़बावाळा जनावर हा।
अन वणा नास ने वेबावाळा परमेसर की मेमा ने नास वेबावाळा मनकाँ की, उड़बावाळा जनावर की, रेंगन चालबावाळा जनावराँ की अन ढान्ढा-ढोर की मूरत्याँ में बदल दिदी।