काँके वणी एक दन ठेरायो हे, वीं आपणाँ थरप्या तकाऊँ वो धरती का हंगळा मनकाँ को हाँचऊँ न्याव केरी, अन वणी मरिया तका मूँ पाछो जीवतो वेन हंगळा मनकाँ में आ बात पाकी कर दिदी हे।
ओ हव हमच्यार बेस बोली कोईस ने हे, पण तागत अन पुवितर आत्मा का हाते अन ईंकी हाँच की खरई का हाते थाँका नके पूग्यो हे। थाँ तो जाणोइस हो के, माँ थाँकी भलई का वाते थाँका हाते कस्यान रिया हा।
एक ओरी वजेऊँ माँ थाँका वाते परमेसर को धन्नेवाद करा हाँ के, जद्याँ माँ थाँने परमेसर को हव हमच्यार हुणायो हो जद्याँ थाँ ईंने मनकाँ का आड़ीऊँ ने जाण्यो पण परमेसर को जाणन ईंने मान्यो अन हाँच भी योईस हे, ईं वजेऊँ परमेसर थाँकामें जद्याँ विस्वास करो हो तो काम करे हे।
परमेसर को परच्यार करती दाण नरई गवा की मोजुदगी में, जीं बाताँ थें माराऊँ हिकी हे, वाँने विस्वास जोगा मनकाँ ने हूँप दे, जीं दूजाँ ने हिकाबा को मन राकता वेवे।
वीं भी हाँचा बचना पे टक्या तका रेवे, जीं धरम-उपदेस का जस्यान सई हे। जणीऊँ वाँने खरी हिक का उपदेस देबा में अन विरोद करबावाळा को मुण्डो बन्द करबा में मदत मले।